क्या बॉलीवुड सिर्फ ‘स्टार किड्स’ के लिए है?
क्या बाहरी लोग यहां कभी अपनी पहचान नहीं बना पाते?
भाई-भतीजावाद पर बहस पुरानी है.
लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने इस ‘चक्रव्यूह’ को तोड़ा है.
उन्होंने साबित किया है कि टैलेंट और कड़ी मेहनत के आगे कोई दीवार नहीं टिकती.
आइए जानते हैं उन सितारों के बारे में, जिन्होंने अपनी जगह खुद बनाई.
सुशांत सिंह राजपूत: एक अधूरा सपना
सुशांत सिंह राजपूत। एक ऐसा नाम जो आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।
उन्होंने टीवी से बड़े पर्दे तक का सफर तय किया।
अपनी प्रतिभा से उन्होंने करोड़ों दिलों को जीता।
‘काई पो छे!’, ‘एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ जैसी फिल्में इसका सबूत हैं।
लेकिन उनका सफर दुखद रूप से समाप्त हो गया।
उनकी मृत्यु ने #NepotismInBollywood बहस को एक बार फिर गरमा दिया।
क्या वाकई बाहरी लोगों के लिए बॉलीवुड में जगह बनाना इतना मुश्किल है?
क्या उन्हें जानबूझकर पीछे धकेला जाता है?
सुशांत ने खुद एक बार कहा था कि नेपोटिज्म हर जगह है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सही टैलेंट को जानबूझकर रोका जाए, तो इंडस्ट्री की नींव हिल सकती है।
उनकी कहानी कई सवालों को जन्म देती है।
आयुष्मान खुराना: टैलेंट का परचम
एक और नाम जिसने बॉलीवुड में अपनी जगह खुद बनाई, वो हैं आयुष्मान खुराना।
क्या आप जानते हैं उनकी जर्नी?
MTV Roadies के विनर से लेकर बॉलीवुड के टॉप एक्टर्स में शुमार।
कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं, कोई गॉडफादर नहीं।
सिर्फ़ टैलेंट और अलग तरह की स्क्रिप्ट्स चुनने का जज़्बा।
‘विक्की डोनर’ से उन्होंने शुरुआत की।
फिर ‘अंधाधुन’, ‘आर्टिकल 15’, ‘शुभ मंगल ज़्यादा सावधान’ जैसी फिल्में दीं।
उनकी फ़िल्में सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं देतीं।
वे समाज में बातचीत शुरू करती हैं।
आयुष्मान ने हर बार साबित किया है कि अगर आपके पास हुनर है, तो कोई आपको रोक नहीं सकता।
वह एक ‘डिस्प्रप्टर’ हैं, जो रूढ़ियों को तोड़ते हैं।
क्या बदल रहा है बॉलीवुड?
आज का दर्शक स्मार्ट है।
उसे सिर्फ बड़े नाम नहीं, अच्छी कहानी और दमदार परफॉर्मेंस चाहिए।
सोशल मीडिया ने दर्शकों को आवाज़ दी है।
वे अपने पसंदीदा कलाकारों को सपोर्ट करते हैं।
और भाई-भतीजावाद पर अपनी राय खुलकर रखते हैं।
क्या यह दबाव इंडस्ट्री को बदल रहा है?
शायद धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बदलाव आ रहा है।
टैलेंट को अब ज़्यादा मौके मिल रहे हैं।
नए चेहरे अपनी जगह बना रहे हैं।
यह बॉलीवुड के लिए अच्छा संकेत है।
क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं?
आपका क्या कहना है?
क्या आपको लगता है कि नेपोटिज्म का चक्रव्यूह टूट रहा है?
कौन से ऐसे आउटसाइडर्स हैं जो आपको सबसे ज़्यादा इंस्पायर करते हैं?
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