भारतीय सिनेमा। यह सिर्फ फिल्में नहीं। यह भावनाएं हैं।
याद है वो पल, जब परदे पर कोई दमदार डायलॉग गूँजता था?
और आप बस वाह! कह उठते थे?
वो डायलॉग्स जो आज भी हमारी बातचीत का हिस्सा हैं। जो हमारे दिल में बस गए हैं।
आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे ही Famous dialogues की। वो जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।

बॉलीवुड के वो famous dialogues!
कौन भूल सकता है इन्हें?
“मेरे पास माँ है!”
यह सिर्फ एक डायलॉग नहीं। यह एक पूरी भावना है। ‘दीवार’ फिल्म से।
अमिताभ बच्चन की आवाज़। अमर है।
“कितने आदमी थे?”
‘शोले’ का गब्बर सिंह। खूंखार, पर यादगार।
आज भी यह सवाल पूछने का अंदाज़ वैसा ही है।
“डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।”
स्टाइल, स्वैग और सस्पेंस। ‘डॉन’ के इस famous dialogues ने जादू कर दिया।
क्या आपने इसे कभी अपनी बातचीत में इस्तेमाल किया है?

प्यार, दोस्ती और ज़िंदगी के famous dialogues
कुछ डायलॉग्स दिल छू जाते हैं।
“बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं।”
‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ का राज। प्यार और मासूमियत।
यह डायलॉग आज भी रिश्तों में जान डाल देता है।
“कुछ-कुछ होता है, राहुल, तुम नहीं समझोगे।”
‘कुछ कुछ होता है’। दोस्ती और अनकहा प्यार।
ये लाइनें हमारी दोस्ती को बयां करती हैं।
“तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती रही है, लेकिन इंसाफ नहीं मिला!”
‘दामिनी’ का सनी देओल। अन्याय के खिलाफ़ आवाज़।
यह डायलॉग आज भी सिस्टम पर सवाल उठाता है।

कॉमेडी के बेताज बादशाह के famous dialogues!
हँसते-हँसते लोटपोट हो गए थे हम।
“ये ढाई किलो का हाथ जब किसी पे पड़ता है ना… तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है।”
‘दामिनी’ से एक और रत्न। सनी देओल की पहचान।
यह डायलॉग आज भी मज़ाकिया अंदाज़ में कहा जाता है।
“आओ कभी हवेली पे!”
ये डायलॉग एक मीम बन गया। ‘स्त्री’ फिल्म का।
आजकल हर कोई इसका इस्तेमाल करता है।
क्यों हैं famous dialogues इतने famous?
इनमें क्या खास है?
ये हमारी भावनाओं से जुड़ते हैं।
ये आम ज़िंदगी की बातें कहते हैं।
इनमें दमदार एक्टिंग का साथ होता है।
ये सिर्फ शब्द नहीं, अनुभव हैं।
50 ऐसे ही famous dialogues, जो आज भी हमारी ज़ुबान पर हैं
“मेरे पास माँ है!” – दीवार (Deewaar)
“कितने आदमी थे?” – शोले (Sholay)
“मोगैम्बो खुश हुआ!” – मिस्टर इंडिया (Mr. India)
“डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।” – डॉन (Don)
“बाबू मोशाय, ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं।” – आनंद (Anand)
“पुष्पा, आई हेट टीयर्स!” – अमर प्रेम (Amar Prem)
“ये ढाई किलो का हाथ जब किसी पे पड़ता है ना… तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है।” – दामिनी (Damini)
“तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती गई माई लॉर्ड, पर इंसाफ नहीं मिला!” – दामिनी (Damini)
“जहाँ हम खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।” – कालिया (Kaalia)
“रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह!” – शहंशाह (Shahenshah)
“मेरे करण अर्जुन आएंगे!” – करण अर्जुन (Karan Arjun)
“हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं।” – बाज़ीगर (Baazigar)
“जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी!” – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (Dilwale Dulhania Le Jayenge)
“बड़े-बड़े देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं, सेनोरीटा।” – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (Dilwale Dulhania Le Jayenge)
“दोस्ती का एक उसूल है, मैडम – नो सॉरी, नो थैंक्यू।” – मैंने प्यार किया (Maine Pyaar Kiya)
“अगर माँ का दूध पिया है तो सामने आ!” – लावारिस (Laawaris)
“कुत्ते, कमीने, मैं तेरा खून पी जाऊँगा!” – यादों की बारात (Yaadon Ki Baaraat)
“मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।” – दीवार (Deewaar)
“ये राजू का स्टाइल है!” – हेरा फेरी (Hera Pheri)
“उठा ले रे बाबा!” – हेरा फेरी (Hera Pheri)
“आप पुरुष ही नहीं… महापुरुष हैं!” – अंदाज़ अपना अपना (Andaz Apna Apna)
“क्राइम मास्टर गोगो नाम है मेरा, आँखें निकाल के गोटियाँ खेलता हूँ!” – अंदाज़ अपना अपना (Andaz Apna Apna)
“तेजा मैं हूँ, मार्क इधर है!” – अंदाज़ अपना अपना (Andaz Apna Apna)
“तुमसे ना हो पाएगा!” – गैंग्स ऑफ वासेपुर (Gangs of Wasseypur) [हालांकि यह थोड़ी नई है, पर इसका ‘पुराना’ फील है]
“कभी-कभी कुछ जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है, और हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।” – बाज़ीगर (Baazigar)
“सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है।” – कालीचरण (Kaalicharan)
“डायलॉग्स सिर्फ़ कहने से नहीं होते, आँखों में दम होना चाहिए!” – घायल (Ghayal)
“जो मैं बोलता हूँ, वो मैं करता हूँ, और जो मैं नहीं बोलता वो तो मैं डेफिनेटली करता हूँ।” – वांटेड (Wanted) [यह भी तुलनात्मक रूप से नई पर पॉपुलर है]
“एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू!” – ओम शांति ओम (Om Shanti Om) [यह भले ही 2007 की है, पर क्लासिक डायलॉग्स का हिस्सा बन गई है]
“आज खुश तो बहुत होगे तुम…!” – दीवार (Deewaar)
“भगवान, मैंने आज तक सिर्फ तुमसे मांगा है, आज पहली बार कुछ दे रहा हूँ।” – दीवार (Deewaar)
“मैं तुम्हें भूल जाऊं, ये हो नहीं सकता, और तुम मुझे भूल जाओ, ये मैं होने नहीं दूँगा।” – दिलवाले (Dilwale)
“ज़िंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ में है जहाँपनाह, उसे न आप बदल सकते हैं न मैं।” – आनंद (Anand)
“प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा।” – बॉबी (Bobby)
“आओ कभी हवेली पे!” – स्त्री (Stree) [यह भले ही नई है, पर एक मीम और कैचफ्रेज बन चुकी है]
“पुत्र को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर।” – शराबी (Sharaabi)
“हमारा नाम सूरज सिंह है और हम जहाँ खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।” – कालिया (Kaalia) [डायलॉग का एक और प्रसिद्ध वर्शन]
“ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं!” – ज़ंजीर (Zanjeer)
“आज मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, पैसा है… तुम्हारे पास क्या है?” – दीवार (Deewaar)
“मैं तो तुम्हें सिर्फ़ एक इशारा कर सकता हूँ, चलना तुम्हें खुद है।” – शोले (Sholay)
“अरे ओ सांभा, कितने आदमी थे?” – शोले (Sholay) [पूरा डायलॉग]
“कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है…” – कभी कभी (Kabhie Kabhie)
“आप के पाँव देखे, बहुत हसीन हैं… इन्हें ज़मीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएँगे।” – पाकीज़ा (Pakeezah)
“कौन कम्बख़्त बर्दाश्त करने को पीता है? मैं तो इसलिए पीता हूँ कि बस साँस ले सकूँ।” – देवदास (Devdas – 1955)
“हम सब रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं जिनकी डोर ऊपरवाले की उंगलियों से बंधी हुई है।” – आनंद (Anand)
“तुम्हारा नाम क्या है, बसंती?” – शोले (Sholay)
“हमारा नाम है सूरमा भोपाली, ऐसे ही नहीं कोई सूरमा भोपाली।” – शोले (Sholay)
“तुम अगर खुश नहीं हो तो मैं भी खुश नहीं हूँ।” – आराधना (Aradhana)
“जीवन में तीन चीज़ें कभी कम नहीं होनी चाहिए – रोटी, कपड़ा और मकान!” – रोटी कपड़ा और मकान (Roti Kapda Aur Makaan)
“मर्द को दर्द नहीं होता!” – मर्द (Mard)
अपनी बातचीत में famous dialogues कैसे शामिल करें?
बस बोलने का सही अंदाज़ चाहिए।
सही मौका तलाशें।
थोड़ा एक्टिंग का तड़का लगाएँ।
देखिए, कैसे सामने वाला मुस्कुरा उठता है।
यादगार डायलॉग्स हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं। इन्हें सहेजें।
क्या आपका कोई पसंदीदा यादगार डायलॉग है?
कमेंट करके हमें बताएं।