क्या आपने कभी सोचा है कि Google.com का मालिक कौन है? बेशक, Google Inc.
लेकिन एक बार, सिर्फ एक मिनट के लिए, इसका मालिक एक भारतीय शख्स बन गया था।
और वह भी महज़ ₹800 में!
यह कहानी है सन्मय वेद की, जिन्होंने अनजाने में एक ऐतिहासिक गलती उजागर कर दी थी।
आइए जानते हैं क्या हुआ था।
कैसे हुआ यह करिश्मा?
यह बात 2015 की है।
सन्मय वेद, जो गूगल के पूर्व कर्मचारी भी रह चुके थे, एक रात गूगल डोमेन सर्विस (Google Domains) पर कुछ डोमेन नेम देख रहे थे।
एक सामान्य सी खोज।
लेकिन तभी कुछ असाधारण हुआ।
उन्होंने “google.com“ टाइप किया।
और उनके सामने जो आया, उसने उन्हें चौंका दिया।
डोमेन उपलब्ध था!
Google.com बिक्री के लिए उपलब्ध दिखा रहा था!
एक हरे रंग का “Add to Cart” बटन चमक रहा था।
सन्मय को लगा कि यह कोई गलती होगी।
उन्होंने सोचा, चलो देखते हैं यह कहां तक जाता है।
उन्होंने इसे अपने कार्ट में डाल दिया।
कीमत? सिर्फ $12.
भारतीय रुपये में, लगभग ₹800।
यह अविश्वसनीय था।
ट्रांजैक्शन हुआ सफल!
सन्मय ने आगे बढ़कर खरीदारी पूरी कर ली।
उन्हें लगा था कि कोई एरर आएगा।
कि ट्रांजैक्शन फेल हो जाएगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ!
उनके क्रेडिट कार्ड से $12 कट गए।
और सबसे बड़ी बात, उनके गूगल डैशबोर्ड पर Google.com के डोमेन ओनर के रूप में उनका नाम दिखने लगा!
उन्हें गूगल वेबमास्टर टूल्स तक का एक्सेस मिल गया।
इंटरनल ईमेल भी आने लगे थे।
सन्मय ने तुरंत स्क्रीनशॉट लिए।
यह एक ऐसी घटना थी जो पहले कभी नहीं हुई थी।

एक मिनट की बादशाहत और गूगल का अलर्ट
यह मालिकाना हक सिर्फ एक मिनट तक चला।
गूगल को तुरंत अपनी गलती का एहसास हुआ।
आखिर Google.com दुनिया की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेबसाइट है।
कुछ ही देर में, गूगल ने इस डील को रद्द कर दिया।
सन्मय के $12 वापस कर दिए गए।
लेकिन इस एक मिनट ने इतिहास रच दिया था।
गूगल का इनाम और सन्मय की दरियादिली
गूगल की सिक्योरिटी टीम ने सन्मय से संपर्क किया।
उन्होंने सन्मय की ईमानदारी की सराहना की।
उन्हें ‘बग बाउंटी’ प्रोग्राम के तहत इनाम की पेशकश की गई।
शुरुआत में गूगल ने उन्हें $6,006.13 दिए (जो अंकों में “Google” जैसा लगता है)।
लेकिन जब गूगल को पता चला कि सन्मय यह पूरी राशि भारत में बच्चों की शिक्षा के लिए दान करना चाहते हैं (Art of Living India Foundation को), तो गूगल ने उन्हें दिया गया इनाम दुगना कर दिया!
यह राशि $12,012.26 हो गई, यानी उस समय के हिसाब से लगभग ₹8 लाख रुपये से ज़्यादा।
सन्मय ने साबित कर दिया कि पैसा उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं था।
यह सिर्फ एक सिस्टम की गलती को उजागर करने की बात थी।

एक सीख, एक मिसाल
सन्मय वेद की यह कहानी हमें बताती है कि बड़ी से बड़ी कंपनियां भी गलतियां कर सकती हैं।
और कैसे एक साधारण व्यक्ति भी अनजाने में एक बड़े सिस्टम की खामी को उजागर कर सकता है।
यह ईमानदारी और जिम्मेदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है।
तो, ₹800 में Google.com खरीदना एक मज़ेदार कहानी बन गई।
और एक भारतीय ने दुनिया को दिखाया कि कैसे एक छोटे से “क्लिक” से बड़ी चीज़ें बदल सकती हैं!