कार खरीदना एक बड़ा फैसला है। यह सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि आज़ादी, सुविधा और एक महत्वपूर्ण निवेश है।
लेकिन, क्या यह सिर्फ मॉडल और रंग देखने तक सीमित है?
वास्तव में, सही कार चुनना इससे कहीं ज़्यादा है। इसमें कई वित्तीय, व्यावहारिक और सुरक्षा-संबंधी पहलुओं पर विचार करना होता है।
यह गाइड नई या पुरानी कार खरीदने से पहले हर ज़रूरी बात पर प्रकाश डालती है।
पाठकों को बजट बनाने से लेकर सही डील ढूंढने तक, और संभावित धोखाधड़ी से बचने से लेकर आधुनिक सुरक्षा फीचर्स समझने तक, सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
यह रिपोर्ट कार खरीदने की प्रक्रिया को सरल बनाने और पाठकों को एक सूचित और आत्मविश्वासपूर्ण निर्णय लेने में सहायता करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
New or old car खरीदने से पहले खुद से पूछें ये सवाल
कार खरीदने का निर्णय लेने से पहले, कुछ बुनियादी सवालों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि वाहन खरीदने का निर्णय व्यक्तिगत आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति के अनुरूप हो।
आपकी ज़रूरत क्या है?
सबसे पहले अपनी ज़रूरतों को समझना आवश्यक है। कार खरीदने का उद्देश्य क्या है?
क्या यह रोज़ाना ऑफिस आने-जाने के लिए है? या सप्ताहांत की यात्राओं के लिए?
शायद परिवार के लिए एक बड़ी गाड़ी की आवश्यकता है?
उपयोग के आधार पर कार का प्रकार चुनना महत्वपूर्ण है । शहर में रोज़मर्रा की यात्रा के लिए कॉम्पैक्ट हैचबैक एक बेहतर विकल्प हो सकती है । यह भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में आसानी से चलाई जा सकती है और पार्क करने में भी सुविधाजनक होती है।
यदि एक परिवार के लिए या लंबी दूरी की यात्रा के लिए कार की आवश्यकता है, तो सेडान, SUV या MUV जैसे बड़े वाहनों पर विचार किया जा सकता है । ये गाड़ियां अधिक जगह और आराम प्रदान करती हैं। ऑफ-रोडिंग या विशेष शौक के लिए, अलग तरह की विशेष कारें उपलब्ध होती हैं ।
परिवार के सदस्यों की संख्या के हिसाब से सीटिंग कैपेसिटी देखना चाहिए । सामान रखने की जगह (बूट स्पेस) भी महत्वपूर्ण है, खासकर यदि लंबी यात्राएं अक्सर की जाती हैं ।
कार के माइलेज पर ध्यान देना चाहिए ताकि ईंधन पर होने वाला खर्च कम हो सके । डीजल इंजन लंबी दूरी के लिए ज़्यादा किफायती हो सकता है, जबकि पेट्रोल इंजन अब स्मार्ट हाइब्रिड तकनीक के साथ भी उपलब्ध हैं जो अच्छी ईंधन दक्षता प्रदान करते हैं । ड्राइविंग आदतों और ईंधन दक्षता के अनुसार इंजन का प्रकार चुनना समझदारी है ।
यह सुनिश्चित करना कि कार वास्तविक जीवनशैली और आवश्यकताओं के अनुरूप हो, बाद में होने वाले पछतावे से बचाता है। कई बार लोग अपनी ज़रूरतों को समझे बिना गाड़ी खरीद लेते हैं, जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है ।
आपका बजट कितना है?
यह कार खरीदने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है। केवल कार की एक्स-शोरूम कीमत पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, बीमा, रखरखाव, ईंधन और मासिक किस्तों (EMI) जैसे सभी संबंधित खर्चों को बजट में शामिल करना चाहिए ।
क्या आप जानते हैं कि अधिकांश लोग एक आसान वित्तीय फॉर्मूले को नहीं जानते, जिससे उनका बजट बिगड़ सकता है?
‘50% रूल’: यह एक सरल और प्रभावी तरीका है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति की सालाना सैलरी का 50% से ज़्यादा कार पर खर्च नहीं करना चाहिए । उदाहरण के लिए, यदि किसी की मासिक सैलरी ₹80,000 है, तो सालाना सैलरी ₹9.6 लाख हुई। इसका 50% ₹4.8 लाख होगा। इसका मतलब है कि व्यक्ति ₹4.8 लाख से ₹5 लाख तक की कार खरीद सकता है । इससे ज़्यादा खर्च करने पर वित्तीय बजट बिगड़ सकता है ।
’20/4/10 रूल’: यह नियम कार खरीदने के बाद के खर्चों को संतुलित करने में मदद करता है।
- 20% डाउन पेमेंट: कार के ऑन-रोड प्राइस का कम से कम 20% डाउन पेमेंट के रूप में देना चाहिए । उदाहरण के लिए, यदि ₹6 लाख की कार खरीदी जा रही है, तो ₹1.2 लाख का डाउन पेमेंट देना चाहिए ।
- 4 साल की EMI: कार लोन की अवधि 4 साल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए । लंबी अवधि की EMI से कुल ब्याज का भुगतान बढ़ जाता है।
- 10% सैलरी मेंटेनेंस/फ्यूल: मासिक सैलरी का 10% तक ईंधन और रखरखाव पर खर्च होना चाहिए । ₹80,000 मासिक सैलरी वाले व्यक्ति के लिए यह खर्च ₹6,000-₹8,000 प्रति माह होगा ।
मासिक आय का एक बड़ा हिस्सा EMI में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य आवश्यक खर्चों पर असर पड़ सकता है । वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, सैलरी का केवल 7% से 10% हिस्सा ही कार की EMI में जाना चाहिए ।
एक्स-शोरूम कीमत के अलावा, RTO रजिस्ट्रेशन, बीमा और अन्य शुल्क जैसे छिपे हुए खर्चों को भी अपने बजट में शामिल करना चाहिए । इन खर्चों को नज़रअंदाज़ करने से बाद में वित्तीय दबाव बढ़ सकता है।
यह वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करता है कि कार खरीदने का निर्णय न केवल शुरुआती खरीद पर आधारित हो, बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को भी ध्यान में रखे। इन नियमों का पालन करने से वित्तीय तनाव से बचा जा सकता है।
50/20/4/10 नियम का आसान गणित
नियम (Rule) | मतलब (Meaning) | उदाहरण (Example – मासिक सैलरी ₹80,000) |
50% रूल | आपकी सालाना सैलरी का 50% से ज़्यादा कार की कीमत पर खर्च न करें। | ₹80,000 x 12 = ₹9.6 लाख (सालाना सैलरी)। इसका 50% = ₹4.8 लाख। यानी ₹4.8-5 लाख तक की कार। |
20% डाउन पेमेंट | कार के ऑन-रोड प्राइस का कम से कम 20% डाउन पेमेंट करें। | ₹5 लाख की कार पर ₹1 लाख डाउन पेमेंट। |
4 साल की EMI | कार लोन की अवधि 4 साल से ज़्यादा न हो। | ₹4 लाख के लोन पर (10% ब्याज दर से) EMI करीब ₹10,200 प्रति माह होगी। |
10% सैलरी मेंटेनेंस/फ्यूल | मासिक सैलरी का 10% तक ईंधन और रखरखाव पर खर्च करें। | ₹80,000 मासिक सैलरी पर ₹6,000-₹8,000 प्रति माह। |

नई कार बनाम पुरानी कार: कौन सा विकल्प बेहतर?
नई कार खरीदने का विचार कई लोगों को आकर्षित करता है, जबकि पुरानी कार खरीदना एक समझदारी भरा वित्तीय निर्णय हो सकता है। दोनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं।
नई कार के फायदे और नुकसान
नई कार की अपनी चमक और आकर्षण होता है। इसमें नवीनतम फीचर्स और तकनीक मिलती है, और कोई पिछली हिस्ट्री नहीं होती।
यदि कोई व्यक्ति कार को 10 साल या उससे अधिक समय तक चलाना चाहता है, तो नई कार खरीदना बेहतर विकल्प हो सकता है । नई कारों के साथ आमतौर पर वारंटी मिलती है, जो शुरुआती वर्षों में किसी भी यांत्रिक या विद्युत खराबी के लिए मन की शांति प्रदान करती है ।
हालांकि, नई कार का सबसे बड़ा नुकसान इसका तेज़ी से मूल्यह्रास (depreciation) है। शोरूम से बाहर निकलते ही कार की कीमत कम होना शुरू हो जाती है । एक नई कार की कीमत पहले साल में 20% से 30% तक कम हो सकती है । 2 साल बाद यह आमतौर पर 30% और 3 साल बाद 40% तक कम हो जाती है । यह मूल्यह्रास एक महत्वपूर्ण छिपा हुआ खर्च है जिसे अक्सर खरीदार नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
नई कार की EMI भी पुरानी कार की तुलना में काफी अधिक होती है । उदाहरण के लिए, यदि कोई ₹7 लाख की नई कार खरीदता है और ₹1 लाख का डाउन पेमेंट देता है, तो ₹6 लाख के लोन पर (5 साल के लिए 8.5% ब्याज दर पर) मासिक EMI ₹13,310 होगी। इस तरह, 5 साल में कुल खर्च ₹8,38,595 हो जाएगा । यह वित्तीय बोझ उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जिनका बजट सीमित है।
पुरानी कार के फायदे और नुकसान
पुरानी कारें कई वित्तीय लाभ प्रदान करती हैं। उनकी कीमत नई कारों की तुलना में काफी कम होती है । 10 लाख रुपये की नई कार 3-4 लाख रुपये में पुरानी मिल सकती है ।
पुरानी कारों में मूल्यह्रास की दर धीमी होती है । शुरुआती वर्षों में नई कार की कीमत तेज़ी से गिरती है, जिसका फायदा पुरानी कार खरीदने वाले को मिलता है। इससे रीसेल पर भी कम नुकसान होता है ।
पुरानी कारों पर बीमा और रोड टैक्स भी कम होता है, जिससे कुल रखरखाव खर्च कम हो जाता है । कम कीमत में बेहतर फीचर्स भी मिल सकते हैं, जैसे रिवर्स पार्किंग कैमरा या टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, जो नई कार में उसी बजट में शायद न मिलें ।
पुरानी कार खरीदने पर वित्तीय बचत काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि कोई वही कार 3-4 साल पुरानी ₹3 लाख में खरीदता है और ₹1 लाख का डाउन पेमेंट देता है, तो उसे केवल ₹2 लाख का लोन लेना होगा। इस पर EMI ₹4,152 आएगी, और 5 साल में कुल खर्च ₹3,49,100 होगा । इस तरह, नई कार के मुकाबले ₹4.89 लाख तक की बचत हो सकती है ।
हालांकि, पुरानी कारों के कुछ नुकसान भी हैं। इनमें वारंटी का अभाव और छिपी हुई यांत्रिक समस्याएं शामिल हो सकती हैं । इसलिए, पुरानी कार खरीदते समय गहन जांच और सत्यापन आवश्यक है।
पहली बार कार खरीदने वालों के लिए खास सलाह
पहली बार कार खरीदने वालों के लिए, एक पुरानी कार पर विचार करना एक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अभी ड्राइविंग सीख रहे हैं।
एक पुरानी कार पर हाथ साफ करना और ड्राइविंग में आत्मविश्वास हासिल करना आसान होता है । यदि कोई नई और महंगी कार सीख रहा हो, तो किसी भी छोटी-मोटी खरोंच या नुकसान से दिल को बहुत चोट लग सकती है । पुरानी कार के साथ यह भावनात्मक और वित्तीय दबाव कम होता है।
पहली बार कार खरीदने वालों को सेडान या बड़ी SUV से बचने की सलाह दी जाती है । इसके बजाय, हैचबैक जैसी छोटी गाड़ी से शुरुआत करना बेहतर होता है । हैचबैक शहर में चलाने और पार्क करने में आसान होती है, और मरम्मत का खर्च भी कम होता है।
यह दृष्टिकोण न केवल वित्तीय जोखिम को कम करता है, बल्कि ड्राइविंग सीखने की प्रक्रिया को भी कम तनावपूर्ण बनाता है।
नई बनाम पुरानी कार: एक तुलना
फीचर/पहलू (Feature/Aspect) | नई कार (New Car) | पुरानी कार (Used Car) |
शुरुआती कीमत | अधिक (₹7 लाख की कार पर ₹8.38 लाख कुल खर्च) | काफी कम (₹3 लाख की कार पर ₹3.49 लाख कुल खर्च) |
मूल्यह्रास (Depreciation) | पहले 2-3 सालों में तेज़ी से गिरती है (20-40%) | धीमी दर से मूल्यह्रास होता है |
वारंटी | आमतौर पर 3 साल/1 लाख किमी तक स्टैंडर्ड वारंटी | आमतौर पर कोई वारंटी नहीं |
फीचर्स | नवीनतम तकनीक और फीचर्स | कम कीमत में बेहतर फीचर्स मिल सकते हैं |
बीमा/टैक्स | अधिक | कम |
नए ड्राइवरों के लिए | वित्तीय और भावनात्मक जोखिम अधिक | सीखने के लिए बेहतर, जोखिम कम |
मन की शांति | वारंटी के कारण अधिक | गहन जांच के बाद ही सुनिश्चित |
छिपे हुए जोखिम | कम, लेकिन शुरुआती मूल्यह्रास बड़ा खर्च | रखरखाव और इतिहास की जांच आवश्यक |

कार खरीदने की प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
कार खरीदने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक सूचित निर्णय के लिए महत्वपूर्ण है।
रिसर्च और तुलना करें
कार खरीदने से पहले गहन ऑनलाइन रिसर्च करना महत्वपूर्ण है । विभिन्न कार मॉडलों, उनके फीचर्स, कीमतों, माइलेज और सुरक्षा रेटिंग की तुलना करनी चाहिए । ऑनलाइन रिव्यूज, विशेषज्ञों की राय और ग्राहकों की प्रतिक्रिया पढ़ना बहुत उपयोगी होता है ।
विश्वसनीय वेबसाइटों से संबंधित मॉडल की जानकारी जुटाना चाहिए। इस दौरान गाड़ी की सेफ्टी रेटिंग, माइलेज और तकनीकी विशेषताओं की जांच करनी चाहिए । अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से जो भी कारें उपयुक्त लगती हैं, उन सभी की एक बार तुलना ज़रूर करनी चाहिए ताकि एक बेहतर विकल्प चुना जा सके । यह प्रारंभिक रिसर्च खरीदार को सशक्त बनाता है और डीलरशिप पर जाने से पहले एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
डीलरशिप और ऑफर्स का मूल्यांकन करें
विभिन्न डीलरों से संपर्क करना और उनके ऑफर्स, डिस्काउंट व फाइनेंसिंग विकल्पों की तुलना करना समझदारी है । भारत में कार की कीमत पर मोलभाव करना आम बात है; डीलर द्वारा दी गई पहली कीमत को स्वीकार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी रिसर्च के आधार पर उचित कीमत प्रस्तावित करनी चाहिए । पुरानी कार एक्सचेंज ऑफर, कैश डिस्काउंट और कॉर्पोरेट डिस्काउंट जैसे ऑफर्स का भी लाभ उठाना चाहिए ।
नई कार खरीदने के लिए सही समय चुनना भी महत्वपूर्ण है। त्योहारी सीज़न (जैसे होली, दिवाली और दशहरा) या साल के अंत में डीलर्स अक्सर आकर्षक ऑफर्स देते हैं । इसके अलावा, महीने के अंत में भी डीलर्स सेल्स टारगेट पूरा करने के लिए बेहतर डील्स ऑफर कर सकते हैं ।
डीलर से कोई भी पेड एक्सेसरीज खरीदने से बचना चाहिए । वे अक्सर बहुत महंगी होती हैं और यही एक्सेसरीज आफ्टरमार्केट में काफी सस्ती मिल जाती हैं ।
एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि कार खरीदने से पहले उस कंपनी के नज़दीकी सर्विस सेंटर पर एक बार ज़रूर जाना चाहिए । वेटिंग लाउंज में बैठे अन्य ग्राहकों से बात करने से कार के वास्तविक स्वामित्व अनुभव और बिक्री के बाद की सेवा की गुणवत्ता के बारे में अमूल्य जानकारी मिल सकती है । यह जानकारी केवल सेल्सपर्सन से मिलने वाली जानकारी से कहीं अधिक विश्वसनीय हो सकती है।
टेस्ट ड्राइव लेना क्यों ज़रूरी है?
टेस्ट ड्राइव कार खरीदने की प्रक्रिया का एक गैर-परक्राम्य हिस्सा है । यह सुनिश्चित करने का एकमात्र व्यावहारिक तरीका है कि कार वास्तविक दुनिया में कैसा प्रदर्शन करती है।
टेस्ट ड्राइव के दौरान, इंजन की स्मूथनेस, ब्रेक, गियर, क्लच, सस्पेंशन और स्टीयरिंग की जांच करनी चाहिए । यह भी देखना चाहिए कि कार चलाने में कितनी सहज महसूस होती है । यदि कोई व्यक्ति ड्राइविंग को लेकर अनिश्चित है, तो किसी अनुभवी व्यक्ति को साथ ले जाना चाहिए ।
टेस्ट ड्राइव से कार के प्रदर्शन का सही अंदाज़ा लगता है और अक्सर कार की कमियों का पता चल जाता है । यह सुनिश्चित करता है कि खरीदी गई कार व्यक्तिगत ड्राइविंग प्राथमिकताओं और आराम के स्तर से मेल खाती हो।
ज़रूरी दस्तावेज़ और फाइनेंसिंग
नई कार खरीदते समय कुछ आवश्यक दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। इनमें नागरिकता का प्रमाण, पहचान प्रमाण, पता प्रमाण, पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो, बैंक स्टेटमेंट और आय प्रमाण शामिल हैं । लोन पर नई कार खरीदने के लिए, आय प्रमाण (जैसे एक साल का बैंक स्टेटमेंट, पिछले तीन महीनों की सैलरी स्लिप और दो साल का आयकर रिटर्न) देना अनिवार्य है ।
कार लोन लेते समय, कई बैंकों से लोन ऑफर्स की तुलना करना महत्वपूर्ण है ताकि सबसे अच्छी डील और सबसे कम ब्याज दर मिल सके । इससे लंबी अवधि में काफी पैसे बच सकते हैं । लोन के लिए पात्रता मानदंड में आमतौर पर 18 से 80 वर्ष की आयु, 700 या उससे अधिक का CIBIL स्कोर, और नौकरीपेशा लोगों के लिए न्यूनतम मासिक सैलरी ₹25,000 या स्व-व्यवसायी के लिए पिछले 2 साल का ITR प्रमाण शामिल होता है ।
कुछ बैंक फ्लेक्सी-पे विकल्प भी प्रदान करते हैं, जहाँ शुरुआती 6 महीनों की EMI नियमित EMI का 50% हो सकती है (न्यूनतम 36 महीने के लोन के लिए) । यह सुविधा नए खरीदारों, विशेषकर युवा पेशेवरों के लिए शुरुआती वित्तीय बोझ को कम करने में सहायक हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, बीमा और रजिस्ट्रेशन (RTO) शुल्क जैसे खर्चों को भी ध्यान में रखना चाहिए। बीमा पॉलिसी को स्वयं विभिन्न कंपनियों से तुलना करके खरीदना चाहिए, न कि केवल डीलर के माध्यम से । पुरानी वाहन की बीमा पॉलिसी होने पर नो क्लेम बोनस का उपयोग करके बचत की जा सकती है । रजिस्ट्रेशन की लोकेशन भी बीमा प्रीमियम को प्रभावित करती है; मेट्रो शहरों में रजिस्टर्ड कारों का प्रीमियम आमतौर पर अधिक होता है ।
पुरानी कार खरीदते समय इन बातों का रखें खास ध्यान
पुरानी कार खरीदना एक किफायती विकल्प हो सकता है, लेकिन इसमें अतिरिक्त सावधानी और जांच की आवश्यकता होती है।
कार की पूरी जांच कैसे करें?
पुरानी कार खरीदते समय केवल तस्वीरों या विवरण पर भरोसा करने के बजाय, कार की भौतिक जांच करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
बाहरी हिस्से की जांच करनी चाहिए: कार की बॉडी में कहीं जंग, डेंट या रिपेंटिंग तो नहीं हुई है, यह देखना चाहिए । हल्की-फुल्की खरोंच होना आम बात है, लेकिन बड़े एक्सीडेंट के निशान होने पर गाड़ी को छोड़ देना ही बेहतर होगा । अलग-अलग एंगल से और सूरज की रोशनी में जांच करने से ये निशान आसानी से दिख सकते हैं ।
इंजन का निरीक्षण करना चाहिए: इंजन स्मूद स्टार्ट हो रहा है या नहीं, इसमें कोई असामान्य आवाज़ या वाइब्रेशन तो नहीं है, इस पर ध्यान देना चाहिए ।
ओडोमीटर रीडिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए । कई बार डीलर या मालिक ओडोमीटर में छेड़छाड़ कर कम रीडिंग दिखाते हैं । गाड़ी की स्थिति और रीडिंग में तालमेल बैठता है या नहीं, इसका आकलन करना चाहिए।
टायर, सस्पेंशन, ब्रेक और इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच करनी चाहिए । इंटीरियर में इन्फोटेनमेंट सिस्टम, बूट स्पेस, स्पेयर व्हील और सभी एक्सेसरीज की जांच करनी चाहिए ।
सबसे महत्वपूर्ण बात, यदि संभव हो, तो गाड़ी खरीदने से पहले किसी विश्वसनीय मैकेनिक से कार की स्थिति का मूल्यांकन करवाना चाहिए । यह संभावित छिपी हुई समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है जो बाद में महंगे मरम्मत का कारण बन सकती हैं।
दस्तावेज़ और इतिहास की जांच
पुरानी कार खरीदते समय दस्तावेज़ों की जांच सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। कार की RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट), इंश्योरेंस पेपर, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और सर्विस रिकॉर्ड की अच्छे से जांच करनी चाहिए । यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि गाड़ी चोरी की तो नहीं है और उस पर कोई बकाया टैक्स या चालान तो नहीं है । दस्तावेज़ साफ होने पर ही सौदा आगे बढ़ाना चाहिए।
कार की हिस्ट्री रिपोर्ट ऑनलाइन भी चेक की जा सकती है। “डिजिटल पुलिस सिटीजन सर्विसेज” पोर्टल पर जाकर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर उसकी पूरी डिटेल्स और हिस्ट्री देखी जा सकती है । क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) की वेबसाइट या सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट पर भी वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करके यह पता लगाया जा सकता है कि कार कितनी बार दुर्घटनाग्रस्त हुई है या उसे स्क्रैप्ड घोषित किया गया है या नहीं । यह डिजिटल जांच खरीदार को संभावित समस्याओं वाली गाड़ी खरीदने से बचाती है।
RC ट्रांसफर प्रक्रिया: जब कोई पुरानी गाड़ी बेची जाती है, तो RC (व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) का ट्रांसफर अनिवार्य होता है । RC ट्रांसफर की प्रक्रिया हर क्षेत्र के RTO में होती है । RC ट्रांसफर के लिए फीस राज्य सरकार के अनुसार अलग-अलग होती है, आमतौर पर यह ₹1000 से ₹5000 के बीच होती है । RC ट्रांसफर होने में आमतौर पर 15 से 30 दिन लगते हैं ।
RC ट्रांसफर के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों में विक्रेता की RC की ओरिजिनल और फोटोकॉपी, विक्रेता और खरीदार का पहचान पत्र (पैन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस), खरीदार का पता प्रमाण (वोटर आईडी, बिजली बिल, टेलीफोन बिल), गाड़ी की इंश्योरेंस पॉलिसी और रोड टैक्स रसीद शामिल हैं । वाहन का इंजन और चेसिस प्रिंट, और नए खरीदार का फॉर्म 60 भी आवश्यक होते हैं ।
धोखाधड़ी से कैसे बचें?
पुरानी कार खरीदने में धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
विक्रेता की विश्वसनीयता की जांच करना महत्वपूर्ण है । क्या वह कोई विश्वसनीय डीलर है या निजी कार मालिक है? यदि ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं, तो ऑनलाइन रिव्यू, रेटिंग्स और प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता देखनी चाहिए । निजी विक्रेता के मामले में, उनके पहचान दस्तावेज़ (जैसे आधार कार्ड) की जांच करनी चाहिए ।
“बहुत सस्ती” दिखने वाली डील्स पर संदेह करना चाहिए, क्योंकि यह खराब स्थिति या धोखाधड़ी का संकेत हो सकता है । हमेशा मूल दस्तावेज़ों पर जोर देना चाहिए; फोटोकॉपी पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वे फर्जी हो सकते हैं ।
M परिवहन ऐप डाउनलोड करके गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर उसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिससे ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है । सरकार के ज़ोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (ZIPNET) पोर्टल पर भी चोरी हुए वाहनों के बारे में जानकारी मिल सकती है । ये उपकरण खरीदार को स्वतंत्र रूप से वाहन और विक्रेता की प्रामाणिकता को सत्यापित करने में मदद करते हैं।

कार के रखरखाव और सुरक्षा का महत्व
कार खरीदना केवल एक बार का खर्च नहीं है; इसमें नियमित रखरखाव और सुरक्षा पर भी ध्यान देना होता है।
रखरखाव का खर्च और टिप्स
कार का रखरखाव एक चालू खर्च है। मासिक सैलरी का लगभग 10% ईंधन और रखरखाव पर खर्च होना चाहिए । उदाहरण के लिए, ₹80,000 मासिक सैलरी वाले व्यक्ति के लिए यह ₹6,000-₹8,000 प्रति माह हो सकता है ।
औसतन, साल में ढाई सर्विस का खर्च लगभग ₹10,000 हो सकता है (एक सर्विस का खर्च ₹4,000 मानकर) । बीमा का औसत सालाना खर्च ₹6,000 हो सकता है, जो पहले साल में ₹15,000 से शुरू होकर बाद में ₹3,000 तक गिर सकता है । टायरों को हर तीन साल में बदलने का खर्च लगभग ₹15,000 आ सकता है, यानी सालाना ₹5,000 ।
रखरखाव के खर्च को कम करने के लिए कुछ टिप्स:
- नियमित सर्विसिंग: कार को नियमित रूप से सर्विस करवाना चाहिए।
- ईंधन-कुशल ड्राइविंग: सही ड्राइविंग आदतों से ईंधन की खपत कम की जा सकती है।
- डीलर एक्सेसरीज से बचें: डीलरशिप से महंगी एक्सेसरीज खरीदने के बजाय, उन्हें आफ्टरमार्केट से खरीदना चाहिए, जिससे काफी बचत हो सकती है ।
- ज़ीरो डेप्रिसिएशन बीमा: ज़ीरो डेप्रिसिएशन कार बीमा एक ऐड-ऑन कवर है जो क्लेम सेटलमेंट के दौरान कार और उसके पार्ट्स के मूल्यह्रास मूल्य को नहीं काटता है । यह दुर्घटना या चोरी के मामले में मरम्मत या प्रतिस्थापन लागत के लिए पूरी कवरेज प्रदान करता है, जिससे नए कार मालिकों को वित्तीय रूप से सुरक्षा मिलती है । कार जितनी पुरानी होगी, प्रीमियम उतना ही कम होगा ।
सुरक्षा फीचर्स: आपकी और अपनों की सुरक्षा
कार में सुरक्षा फीचर्स पर कोई समझौता नहीं करना चाहिए। ये दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों की जान बचाने और चोटों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर्स:
- एयरबैग्स (Airbags): ये दुर्घटना की स्थिति में अचानक फूलकर यात्रियों और गाड़ी के आंतरिक हिस्सों के बीच एक कुशन बनाते हैं, जिससे सिर और छाती पर लगने वाली गंभीर चोटों का खतरा काफी कम हो जाता है । आजकल अधिकांश कारों में 6 एयरबैग्स स्टैंडर्ड होते हैं । यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि एयरबैग्स तभी खुलेंगे जब सीटबेल्ट लगा हो, और वे केवल एक बार इस्तेमाल होते हैं ।
- एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS): यह फीचर अचानक ब्रेक लगाने पर पहियों को लॉक होने से रोकता है । इससे ड्राइवर गाड़ी पर कंट्रोल बनाए रख सकता है और स्किडिंग व दुर्घटना का खतरा कम हो जाता है । यह खासकर गीली या फिसलन भरी सड़कों पर जीवन रक्षक साबित होता है ।
- इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (EBD): यह ABS के साथ मिलकर काम करता है, ब्रेकिंग फोर्स को पहियों पर समान रूप से वितरित करता है, जिससे ब्रेक लगाने की क्षमता बढ़ती है ।
- इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल (ESC): यह एक एक्टिव सेफ्टी सिस्टम है जो गाड़ी को स्किड होने या कंट्रोल खोने से बचाने में मदद करता है । यह वाहन की गति और दिशा की लगातार निगरानी करता है और यदि वाहन रास्ते से भटकता है, तो स्वचालित रूप से अलग-अलग पहियों पर ब्रेक लगाकर उसे स्थिर करता है । यह खराब मौसम या अचानक मोड़ पर बहुत कारगर है ।
- हिल होल्ड कंट्रोल (HHC) और हिल डिसेंट कंट्रोल (HDC): ये फीचर्स ढलान पर गाड़ी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे ड्राइविंग अधिक आरामदायक और सुरक्षित होती है ।
- रियर पार्किंग सेंसर और कैमरा: ये सीधे तौर पर दुर्घटना से बचाव नहीं करते, लेकिन पार्किंग के दौरान होने वाली छोटी-मोटी टक्करों से बचाने में मदद करते हैं । सेंसर पीछे की वस्तुओं की दूरी के बारे में ऑडियो या विजुअल अलर्ट भेजते हैं, जबकि कैमरा पीछे का स्पष्ट दृश्य दिखाता है ।
- सीट बेल्ट रिमाइंडर: सीट बेल्ट सबसे बुनियादी लेकिन सबसे ज़रूरी सुरक्षा फीचर है । यह हादसों की स्थिति में यात्रियों को अपनी सीट पर बनाए रखता है, जिससे एयरबैग्स प्रभावी ढंग से काम कर पाते हैं और गंभीर चोटों का खतरा कम हो जाता है ।
ADAS (Advanced Driver Assistance System): यह अत्याधुनिक तकनीक है जो ड्राइविंग को ज़्यादा सुरक्षित, आसान और स्मार्ट बनाती है । इसमें सेंसर, कैमरा और रडार जैसे सिस्टम शामिल होते हैं, जो वाहन को आसपास के माहौल से लगातार अपडेट देते रहते हैं और दुर्घटनाओं की आशंका को कम करते हैं । ADAS के प्रमुख फीचर्स में लेन कीप असिस्ट, ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB), ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन और एडेप्टिव क्रूज़ कंट्रोल शामिल हैं । यदि नई कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो ADAS वाली कार को प्राथमिकता देना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है ।
भारत में सड़क पर वाहन चलाने वाले प्रत्येक वाहन मालिक के पास बीमा होना अनिवार्य है । थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को मोटर वाहन अधिनियम द्वारा अनिवार्य किया गया है ।
ज़रूरी सुरक्षा फीचर्स और उनके फायदे
सुरक्षा फीचर (Safety Feature) | यह कैसे काम करता है (How it Works) | आपके लिए फायदा (Benefit to You) |
एयरबैग्स (Airbags) | दुर्घटना में अचानक फूलकर सिर और छाती को गंभीर चोटों से बचाता है। | दुर्घटना में गंभीर चोटों का खतरा कम होता है। |
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) | अचानक ब्रेक लगाने पर पहियों को लॉक होने से रोकता है, जिससे स्टीयरिंग कंट्रोल बना रहता है। | स्किडिंग और दुर्घटना का खतरा कम होता है, खासकर गीली सड़कों पर। |
इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (EBD) | ब्रेकिंग फोर्स को पहियों पर समान रूप से वितरित करता है। | ब्रेक लगाने की क्षमता बढ़ाता है, गाड़ी का संतुलन बना रहता है। |
इलेक्ट्रॉनिक स्टैबिलिटी कंट्रोल (ESC) | गाड़ी को स्किड होने या कंट्रोल खोने से बचाता है, स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर स्थिर करता है। | खराब मौसम या अचानक मोड़ पर गाड़ी का नियंत्रण बनाए रखने में मदद करता है। |
रियर पार्किंग सेंसर/कैमरा | पार्किंग के दौरान पीछे की वस्तुओं की दूरी का अलर्ट देता है या दृश्य दिखाता है। | पार्किंग के दौरान छोटी-मोटी टक्करों से बचाता है, पार्किंग आसान बनाता है। |
सीट बेल्ट रिमाइंडर | सीट बेल्ट न पहनने पर ऑडियो/विजुअल अलर्ट देता है। | सुनिश्चित करता है कि यात्री सीट बेल्ट पहनें, जिससे एयरबैग्स प्रभावी ढंग से काम कर सकें। |
ADAS (Advanced Driver Assistance System) | सेंसर, कैमरा और रडार का उपयोग कर ड्राइविंग को सुरक्षित और स्मार्ट बनाता है (जैसे ऑटोमैटिक ब्रेकिंग, लेन असिस्ट)। | दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है, लंबी यात्रा में ड्राइवर की थकान कम होती है। |
आम गलतियाँ जिनसे बचें
कार खरीदने की प्रक्रिया में कुछ आम गलतियाँ होती हैं जिनसे बचना चाहिए।
- अवास्तविक बजट सेट न करें: केवल कार की कीमत पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। बीमा, रखरखाव और ईंधन जैसे सभी खर्चों को बजट में शामिल करना चाहिए। भारी EMI लेने से बचें जो मासिक आय का एक बड़ा हिस्सा बन जाए ।
- ज़रूरतों को समझे बिना खरीदारी न करें: अपनी ड्राइविंग ज़रूरतों, परिवार के आकार और उपयोग के उद्देश्य को समझे बिना कार न खरीदें । गलत प्रकार की कार खरीदने से बाद में पछतावा हो सकता है ।
- गहन रिसर्च को नज़रअंदाज़ न करें: डीलरशिप पर जाने से पहले ऑनलाइन रिसर्च, मॉडल तुलना, फीचर्स, सेफ्टी रेटिंग और ग्राहक रिव्यूज को अनदेखा न करें ।
- टेस्ट ड्राइव छोड़ें नहीं: टेस्ट ड्राइव लेना अनिवार्य है। यह कार के वास्तविक प्रदर्शन, हैंडलिंग और आराम का आकलन करने का एकमात्र तरीका है ।
- डीलर से अनावश्यक एक्सेसरीज न खरीदें: डीलर अक्सर महंगी एक्सेसरीज बेचने की कोशिश करते हैं । इन्हें आफ्टरमार्केट से खरीदना ज़्यादा किफायती होता है।
- पुरानी कार के दस्तावेज़ और इतिहास की जांच न छोड़ें: RC, बीमा, PUC, सर्विस रिकॉर्ड और ऑनलाइन हिस्ट्री (चोरी, दुर्घटना, चालान) की पूरी जांच किए बिना पुरानी कार न खरीदें ।
- “बहुत अच्छी” डील्स पर संदेह करें: यदि कोई डील अविश्वसनीय रूप से सस्ती लग रही है, तो सावधान रहें। यह धोखाधड़ी या छिपी हुई समस्याओं का संकेत हो सकता है ।
- लोन ऑफर्स की तुलना न करें: केवल एक बैंक से लोन लेने के बजाय, विभिन्न बैंकों से ब्याज दरों और शर्तों की तुलना करें ताकि सबसे अच्छा सौदा मिल सके ।
- कार का गहन निरीक्षण न करें (विशेषकर पुरानी कार): एक विश्वसनीय मैकेनिक से कार की भौतिक स्थिति का मूल्यांकन करवाना चाहिए । यह छिपी हुई समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
कार खरीदना एक महत्वपूर्ण जीवन निर्णय है जिसमें सावधानीपूर्वक विचार और योजना की आवश्यकता होती है। यह केवल एक वाहन का अधिग्रहण नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक वित्तीय और व्यावहारिक प्रतिबद्धता है।
यह रिपोर्ट कार खरीदने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास करती है, चाहे वह नई हो या पुरानी। वित्तीय नियमों का पालन करके, अपनी वास्तविक ज़रूरतों को समझकर, और गहन रिसर्च व जांच करके, व्यक्ति एक सूचित निर्णय ले सकता है। पुरानी कारें वित्तीय बचत और नए ड्राइवरों के लिए एक कम जोखिम वाला विकल्प प्रदान करती हैं, जबकि नई कारें नवीनतम तकनीक और मन की शांति देती हैं।
सुरक्षा फीचर्स और रखरखाव की लागत को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि खरीद मूल्य। सही जानकारी और सतर्कता के साथ, पाठक आत्मविश्वास के साथ अपनी अगली कार खरीद सकते हैं।
तो, अपनी अगली कार खरीदने के लिए तैयार हो जाइए, समझदारी से चुनें और सुरक्षित रहें!